यदि आप OBC कम्युनिटी से हैं तो ये आपको जरूर पढ़ना चाहिए❗


इस देश के लिए यह कितनी शर्म की बात है कि 10 साल पीएम 10 साल सीएम रहने वाला मोदी पिछड़ा है। कितनी शर्म की बात है की 20 साल सीएम, डिप्टी सीएम रहने वाले लालू परिवार जिनके खानदान का टर्नओवर 1000cr से ज्यादा है वो पिछड़ा है। भारत का संविधान इस देश के 50% आबादी को फलाने फलाने जाति में बस जन्म लेने के कारण पिछड़ा बना दिया। और ताज्जुब की बात ये है कि एक भी OBC कम्युनिटी की जनता अगड़ा बनना नही चाहती ( मैं आजतक ऐसे किसी से तो नही मिला हूं )। सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त होने के बावजूद भी एक भी OBC ये नही चाहता की भारत का संविधान में ऐसा कोई रास्ता भी जोड़ा जाए जिस से by choice कोई ओबीसी, नॉन ओबीसी बन सकें। 

हैरत की बात ये है कि मोदीजी से लेकर तेजस्वी जी तक, सबको खुद के OBC होने यानी Backward होने यानी पिछड़ा होने पर गर्व है। और irony ये है कि ये लोग भारत को विकशित और विश्वगुरु बनाना चाहते हैं। जिस राष्ट्र में 50% लोग को अन्य पिछड़ा वर्ग में डाल दिया गया हो, और 49% लोग खुशी खुशी पिछड़ा प्रमाण पत्र बनवा रहे हों, और संविधान में ऐसा कोई रास्ता ही नहीं हो कि लोग पिछड़ा टैग से बाहर निकल सकें, फिर क्या ही कहा जा सकता है? और न ही विकशित हुआ जा सकता है! 

SC/ST कम्युनिटी आजादी के समय से ही है लेकिन OBC classification 1991 के आसपास हुआ है जो पूर्णतः कास्ट बेस्ड पॉलिटिक्स से प्रेरित है। 

अब राहुल गांधी जी कह रहे हैं कि अमीरों के लिस्ट में एक भी OBC नही मिलेंगे। और ट्विटर पर हजारों अमीर ओबीसी इसको शेयर भी कर रहे हैं। 

यदि गरीबी अमीरी की ही बात है तो मेरे फ्रेंड सर्कल में जितने भी OBC कम्युनिटी वाले मित्र हैं उस में से 15% बस गरीब हैं। बाकी को ideal middle class या upper middle class में ही रखा जायेगा। 

ऐसा कोई नेता और पार्टी नही है जिसके मेनिफेस्टो में यह लिखा हो की वो सरकार में आयेंगे तो पिछड़ा को अगड़ा बनाने का काम करेंगे। क्योंकि जिस दिन देश में सबको एक बराबरी का दर्जा मिल जायेगा उस दिन सारी राजनीतिक दुकान बंद हो जाएगी। 

यदि आप ओबीसी हैं तो 2 प्रश्न का जवाब जरूर सोचिएगा! पहला यह की आप ओबीसी ( पिछड़ा ) क्यों हैं? और दूसरा की आप कब तक पिछड़ा रहेंगे? 

मैं आरक्षण पर कोई टिपण्णी नही कर रहा। Reservation is for representation और किसी भी जगह जहां जनता को लिया जा रहा है वहां हर वर्ग और समुदाय के लोगों का representation होना जरूरी है।

ओबीसी शब्द सुनने में ठीक लगता है। पिछड़ा शब्द सुनने में awkward लगता है। इसलिए पिछड़ा शब्द ही सोचिए। जब तक खून में इस बात के लिए उबाल नही आयेगा कि आपको वोट के लोभ में पिछड़ा बना दिया गया, और ऐसा बनाया गया की सामान्य बनने का कोई रास्ता ही नही बचा, तब आप सवाल कीजिएगा। 

सोचिए। खुद के अस्तित्व के बारे में सोचिए। आप कल हो के 50लाख के पैकेज पर प्लेसमेंट लीजिएगा फिर भी भारत का संविधान आपको पिछड़ा ही कहेगा। आप 10 बीघा खेत, 10 गाय बैल भैंस दरवाजे के रखे हैं, आपके घर में टीवी फ्रिज एसी लगा हुआ है, घर के सामने 1 बाइक 1 कार खड़ा है, आप jockey से लेकर Adidas , Nike, H&M पहनते हैं, आप हमेशा AC 3tier या इस से ऊपर ही रेल यात्रा करते हैं, फिर भी आप पिछड़ा हैं। मेरे नजर में नही भाई... भारत के संविधान के नजर में। 

यदि आपका या आपके पिताजी का सालाना आय 8 लाख से ज्यादा है ( ऑफिशियली ) फिर भी आप पिछड़ा ही कहलाएंगे। आपको तब आरक्षण नहीं मिलेगा। पर फिर भी आप क्रीमी लेयर वाला पिछड़ा कहलाएंगे। लेकिन अगड़ा नही कहलाएंगे। 

ऐसा भी नही है कि पिछड़ा बने रहने पर आपको कुछ विशेष संसाधन का लाभ दिया जा रहा है। ओबीसी और नॉन ओबीसी में बस इतना फर्क है कि किसी सरकारी नौकरी की परीक्षा में 2 नंबर कम ज्यादा पर भी आप योग्य हो सकते हैं। इसके अलावा और कोई लाभ नहीं दिया जा रहा। यदि बस इतने के लिए आप संपन्न और सशक्त होते हुए भी पिछड़ा कहलवाना पसंद करते हैं, और पिछड़ा प्रमाण पत्र बनवाते हैं तो ये कितनी अजीब बात है। 

हां यह सच है कि ओबीसी कम्युनिटी में कई सारी ऐसी जातियां और परिवार है जो सही मायने में पिछड़ी और अत्यंत गरीब है, जिन तक बेसिक संसाधन भी नही पहुंच पा रही। यदि उन तक रिसोर्स पहुंचना है तो आप जो ये पढ़ रहे हैं आपको अगड़ा बनना पड़ेगा। फिर जो भी थोड़े से संसाधन आप उपयोग कर ले रहे हैं वो सही ओबीसी परिवारों तक पहुंचेगा। 
लेकिन फिर वही. भारत के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान ही नही है जिस से आप पिछड़ा से अगड़ा बन सकें। 

क्या कोई OBC association, कोई OBC नेतृत्व वाली पार्टी, कोई OBC के नेता कभी ये मांग उठा पाएंगे कि संविधान में संशोधन किया जाए और जो लोग स्वेच्छा से अगड़ा बनना चाहते हैं उनको बना दिया जाए। 

बाबा साहेब आंबेडकर का भी कहना था कि श्रम विभाजन भारत में जन्म के आधार पर है जो कि बिलकुल ही गलत है। और जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का ही दूसरा नाम है। फलाने जाति में जन्म लेने वाला व्यक्ति फलाने कार्य को ही करेगा। और उनका कहना था कि बिना व्यक्ति की प्रतिभा और क्षमता को जाने, जन्म लेते ही उसके ऊपर पारिवारिक कार्य को थोप देना अन्याय है। 

आज मोदी से लेकर बहन मायावती तक सब बाबा साहेब को पूजती है। लेकिन कोई एक छोटा सा प्रयास नही कर पाया कि जन्म के आधार पर श्रम विभाजन और जाति प्रथा को धीरे धीरे खत्म करें। आज भी आधा से ज्यादा जाति पेशे के नाम से ही है। 

Caste based politics आज भारत की आत्मा है। और उस से सबसे ज्यादा नुकसान किसी को हुआ है तो वह ओबीसी है। 

आरक्षण पर मुझे टिपण्णी नही करना था, पर 2 लाइन लिख देता हूं।
OBC की जनसंख्या है लगभग 50%. OBC कमीशन ( मंडल कमीशन ) के द्वारा सामाजिक आर्थिक सर्वे करने के बाद ओबीसी को आरक्षण मिला 27%. 
अब किसी जगह 100 सीट है, तो OBC by default 40+27 = 67% सीट पर फाइट कर रहे हैं ( जनरल सीट सबके लिए होती है ) लेकिन रिज़ल्ट आने पर ओबीसी कितना सीट पाती है? 27% + 3-4% = 30/31% 
सरकारी डिपार्टमेंट बस इस तरीके से कटऑफ बनाता है कि ओबीसी से 3-4% लोग ही जनरल मेरिट पे जा पाते हैं। बाकी जनरल मेरिट में सारे unreserved से फॉर्म भरने वाले ही रहते हैं। और किसी की भी सरकार रहे, हमेशा से यही होता आया है और होता रहेगा। जब तक जितनी संख्या उतनी हिस्सेदारी नही मिलेगी तब तक जनसंख्या के प्रोपोर्शन में सिलेक्शन नही होगा। 

और आजादी के 75 साल बाद भी यदि आप सरकारी रिसोर्स को जाति के आधार पर बांटने के लिए लड़ रहे हैं जो रिसोर्स खुद मुट्ठी भर है, और उसके लिए हम आप सब पिछड़ा बने रहना चाहते हैं, तो बस इतना समझिए कि हमारा आपका इस्तेमाल बस वोट लेने के लिए होता रहेगा! 
आरक्षण पर अधिक विश्लेषण बाद में! अभी आपको इस भी के लिए प्रयास करना चाहिए कि आप अपने परिवार से पिछड़ेपन का टैग कैसे हटाएंगे? 

कुछ सुझाव है तो नीचे कमेंट में बताइए। किसी पैराग्राफ पर अपना ओपिनियन अलग है तो वह भी कॉमेंट कीजिए। मेरा मानना है कि इन सभी चीजों पर हर पढ़े लिखे युवाओं को हेल्थी डिस्कशन करना चाहिए। वोट देने और लेने से ऊपर निकलकर इन सभी सामाजिक मुद्दों पर विमर्श होना चाहिए। 
जय हो! 

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