थोड़ा बड़ा है लेकिन कृपया पूरा पढ़ें🙏
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: जैसे स्लोगन वाले समाज में, एकमात्र ऐसा देश जहां शादी के बाद महिलाओं को देवी की संज्ञा दी जाती है, ऐसे देश भारत में आखिर अब हो क्या गया है कि 21वी शताब्दी में शिक्षा का प्रचार होने के बाद आज महिलाओं पर हिंसा और बढ़ती जा रही है।
138 करोड़ की आबादी वाले देश में प्रतिदिन 500 के आसपास रेप होते हैं और लगभग 20 से ज्यादा बेटियों के साथ दुष्कर्म कर उन्हें मार दिया जाता है। एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर 16 मिनट में एक लड़की/बच्ची रेप का शिकार होती है। बर्बरता की इतनी हदे पार कर दी जाती है जिसे लिखना मुश्किल है। दुष्कर्म का तात्पर्य शारीरिक शोषण से ही नहीं है, मानसिक रूप से भी लड़कियों को प्रताड़ित किया जाता है। सोशल मीडिया पे अनजान लोग लड़कियों को गन्दी मेसेज भेजते है, कॉल कर के परेशान करते है, आस पड़ोस के लोग कोई वीडियो बना के ब्लैकमेल करते हैं। एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो)की एक रिपोर्ट के मुताबिक 94 प्रतिशत रेप केस में रेपिस्ट कोई न कोई जान पहचान वाला ही होता है(कोई परिचित, परिवार के सदस्य, सहकर्मी, नौकर, आदि) इनमें मुख्यत ऐसे लोग होते हैं जो पहले से ही गिद्ध कि भांति नजर गड़ाए रहते हैं, लड़कियों को सड़क पर चलते हुए घूरते है, गलत नज़रों से देखते हैं। हर साल 4-5 रेप केस ऐसे होते हैं जो राष्ट्रीय मुद्दा बनते हैं, पूरे देश में विरोध प्रदर्शन होता है, हैशटैग ट्रेंड होता है, कैंडल मार्च निकलता है, सख्त कानून बनाने का मांग होता है, रेपिस्ट को तुरंत फांसी दिया जाए ऐसा प्रश्न उठता है... परन्तु कुछ दिन के बाद बात पुरानी हो जाती है, लोग भूल जाते हैं, मीडिया अपना रास्ता बदल लेती है, आरोपियों को बेल मिल जाता है, everything becomes as usual, ये चुप्पी तब तक रहता है जब तक कि कोई नई बिटिया के साथ फिर कोई घटना न हो जाए। यदि आप अपने जिले के अख़बार की हर कोने को देखेंगे तो रोज आपको छोटी बड़ी हेडलाइन में एक खबर तो मिल ही जाएगा जो दुष्कर्म, दुष्कर्म पीड़िता को न्याय, आदि से जुड़ा हुआ हो।
पूरे देश भर में कोई भी जगह ऐसा सुरक्षित नहीं है जहां कोई महिला बिना किसी डर के रह सके। क्यों? क्यूंकि हमारे यहां कानून ही ऐसा नहीं है कि बुरी नियत वाले लोग पुलिस और कानून से डरें और ऐसा कदम उठने से पहले 100 बार सोचे।
दूसरी बात यह कि कोई भी घटना जो राष्ट्रीय मुद्दा बन जाए उसे राजनीतिक रंग दे दिया जाता है। लोग या विपक्षी सीधे सरकार से प्रश्न करना शुरू करते हैं, आरोप लगाना शुरू करते हैं, गुनेहगार की जाति- धर्म के आधार पर प्रोपोगेंडा चलाते हैं। क्या किसी मंत्री के इस्तीफा दे देने से बलात्कार रुक जाएगी? नहीं।
तो फिर रेप कैसे रुके?
130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश में मोरल वैल्यू (नैतिक शिक्षा)सबको नहीं दिया जा सकता। युवा जितना सही चीज सीख रहे हैं उस से ज्यादा गलत चीज़ को देख रहे और सिख रहे हैं। तो मोटीवेशन और लोगो को समझाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
फिर कैसे फ़र्क पड़ेगा?
सर्वप्रथम एक सख्त कानून का निर्माण हो जिसमे ये प्रावधान रहे कि 10 दिन से महीने दिन के अंदर पारदर्शिता के साथ जांच हो, पुलिस, वकील, महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग के लोग साथ मिलकर जांच करें, मेडिकल रिपोर्ट, सभी के बयान आदि के आधार पर 30 दिन के अंदर दोषी को उचित कठोर सजा दिया जाए।
फांसी की सजा?
मेरे विचार में फांसी नहीं। क्यूंकि जो आदमी एक लड़की के साथ जबरदस्ती कर सकता है, वो खुद को फांसी पे लटकने से बचाने के लिए उस लड़की से दरिंदगी को सारी हदें पार करते हुए जान भी ले लेगा। सबूत हटाने के लिए और उसका खुलासा नहीं हो इसलिए वो बच्ची को मार देगा। आजकल सिनेमा सब भी ऐसा बन रहा है जो लोगों को क्राइम करना सीखा रहा है। सज़ा कुछ भी हो लेकिन सजा घटना होने के 1 महीने के अंदर मिल जाए.. और सीधे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से मिले जिस से उस आदमी के पास ऊपर अपील करने का मौका न रहे।
भारत में कानून और न्याय या पुलिस को घूस देना इतना आसान है कि 80 प्रतिशत लड़की को धमका के केस वापस करवा लिया जाता है या फिर गांव/छोटे शहरों में लड़कियों को सामाजिक दबाव के कारण पुलिस केस ही नहीं करने दिया जाता है।
कठोर कानून क्यों नहीं बन पा रहा है भारत में?
विगत कुछ महीने पहले एक कानून बना है जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची से साथ दुष्कर्म करने पर फांसी का प्रावधान है।
कुछ दिन तक सोशल मीडिया पर गुस्सा दिख देने से सोई हुई लोकतंत्र पर कोई असर नहीं पड़ता है। ये एक ऐसा मुद्दा या समस्या है जिस पे कोई भी कानून यदि बनाया जाता है तो कोई इसका विरोध नहीं करेगा। फिर भी बाकी कानूनों की तरह इसे बनने में काफी समय लग जाता है। आज कोई भी ऐसा राज्य नहीं है जिसके विधानसभा में कोई रेप केस वाला सांसद/विधायक न हो।
बड़े लोगों के द्वारा यदि कोई आंदोलन चलाया जाता है तो वो ज्यादा प्रभावशाली होता है। मेरे ख्याल से देश के जितने भी बड़े लोग हैं, चाहे वो फिल्मी दुनिया, राजनीति,खेल, वकील, डॉक्टर, विशेषज्ञ, आदि सारे लोगों को एक मंच पर एक साथ आना चाहिए, कोई मजबूत कठोर योजना बनाना चाहिए और कार्यपालिका/न्यायपालिका से निवेदन कर के उसे अमल में लाना चाहिए। ट्विटर पे लोग गुस्सा निकाल के फिर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, जो कि ठीक नहीं है, जो प्रभावशाली व्यक्ति है उन्हें समाज सुधार की दिशा में भी कदम उठाना चाहिए। ख़ास कर के उन महिलाओं को बहन बेटी के अधिकार के लिए बोलना चाहिए आगे आना चाहिए जो महिलाएं प्रभावशाली हो चुकी है। विधायकों, अभिनेत्रियों, सिविल सेवाओं आदि में महिलाओं की प्रतिनिधित्व अच्छी खासी है, बस उन्हें एक मंच पर आकर आवाज़ बुलंद करना है। सोशल मीडिया के कारण आज एक साथ सबको आना बहुत आसान हो चुका है। बहुत सारे सेलिब्रिटीज युवाओं के बीच में सोशल मीडिया के माध्यम से इंफ्लुएंसर का काम कर रहे हैं। उनके एक आवाज़ पर जो समझदार युवा शक्ति है वो साथ देने के लिए तैयार हो जाएगी।
मेरे विचार से महिलाओं को बचाने और सम्मान दिलाने का काम महिलाएं ही कर सकती है। ये पुरुषों के बस की बात नहीं है। पुरुष बस किसी की बेटी की लाश पर राजनीतिक रोटी सेकने का काम करते हैं, जाति धर्म खोजते फिरते हैं, आंदोलन करना प्रदर्शन करना जानते हैं, और फिर उसी के साथ दोस्ती रखते हैं जिसमें महिलाओं के सम्मान की कोई भावना न हो।
सरकार क्या कर सकती है?
कानून निर्माण के अलावा कुछ व्यक्तिगत सुरक्षा से जुड़ी हुई चीजें हैं जो सरकार को करना चाहिए, जैसे:-
⚫आत्मरक्षा के लिए लड़कियों को स्कूल में शिक्षा के साथ जूडो और बॉक्सिंग जैसे खेल बाकी विषयों की तरह सिलेबस में अनिवार्य कर देना और हर लड़कियों को इसका ट्रेनिंग दिलवाना।
⚫समय समय पर गांव, मुहल्ले, आदि सार्वजनिक जगहों पर 15 दिवसीय कैंप का आयोजन करना और लड़कियों को आत्मरक्षा की टिप्स दिया जाना।
⚫पुलिस बलों में महिला पुलिस की संख्या को 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत आरक्षित करना।
⚫स्कूलों और कॉलेजों में समय समय पर महिला पुलिस का जाना, और लड़कियों से बात कर ये सब पूछना कि स्कूल से घर तक के रास्ते में कोई दुकान वाला या कोई भी आवारा घूमने वाला आदमी यदि तुम्हे बुरी नजर से देखता है तो बताओ, और फिर कुछ दिन तक स्थानीय पुलिस के द्वारा उन संदिग्धों पर नजर रखना, जरूरी परने पर उन्हें थाना ले जाया जाना।
⚫मिर्ची वाला, पॉकेट चाकू, और जो भी लड़कियों के आत्मसुरक्षा के उपकरण बने हैं उन्हें समय समय पर कैंप लगा कर लड़कियों तक पहुंचाना और प्रयोग करने का तरीका बताना।
⚫एक ऐसा हेल्पलाइन बनाना जिस पे कभी भी कॉल करने पर लड़कियों की सुरक्षा के लिए कॉल उठाने वाला उपस्थित रहे और 10 मिनट के अंदर उस जगह पर पुलिस पहुंच जाए।
⏩ये सारा काम सरकार खुद के बलबूते भी कर सकती है और किसी एनजीओ को भी साथ में लेकर कर सकती है।
एक नए फोर्स की कंपनी का भी गठन किया जा सकता है जिसमें बस महिलाएं हो, हर जिले में तैनात हो, जिसका काम ही बस महिलाओं के साथ होने वाले हिंसा को रोकना और जांच करना हो।
❗जैसे हमलोग दुष्कर्म करने वाले को सजा देने के लिए आवाज उठाते हैं, वैसा ही आवाज और आंदोलन हम सबको इन सुरक्षा वाले चीजों के लिए भी उठाना चाहिए। सरकार पर दवाब डालना चाहिए की स्कूल में ये सब सिखाइए पढ़ाइए। आत्म सुरक्षा वाला उपकरण लड़कियों को बांटिए। क्योंकि साइंस मैथ्स पढ़ लेने से इन समस्याओं का समाधान नहीं होगा। ये गलत नजर वाले लोगों पर वार कर के ही मिलेगा।
देश की तमाम प्रभावशाली महिलाओं, बुद्धिजीवियों, से मेरा अपील है कि सब साथ आकर सरकार पर दबाव बनाकर ऐसे कुछ स्टेप्स को लागू करवाने का प्रयास कीजिए। यदि सही ढंग से इतना हो जाता है तो अगले 2-4 सालों में ऐसी घटनाएं बहुत कम होंगी।
अक्सर यह देखा गया है की प्रभावशाली महिलाएं ( अभिनेत्री, कॉरपोरेट में, बिजनेस में, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, पुलिस, आईएएस आईपीएस, इंस्टाग्राम पर नाचने वाली इनफ्लुएंसर आदि बहुत कोई) किसी सोशल इश्यू पर भी पोस्ट करने के लिए पैसा लेती है, नही तो चुप रहती है।
सबसे गलत यही है। पुरुष समाज तो गलत है ही, उस से क्यों उम्मीद करना। करोड़ों की संख्या में आज महिलाएं डिसीजन मेकिंग पोजिशन पर काम कर रही है। उनकी चुप्पी हटना और उनको प्रखर बात रखना बहुत जरूरी है।
पुरुषों से मेरा निवेदन है कि अपने अगल बगल,मित्र समूह में ऐसे जो लोग हैं जो आज या कल किसी के साथ बुरा बर्ताव कर सकते हैं, उन जैसे लोगों को समझाए की या तो सही रास्ता पे आ जाइए, नहीं तो उनका बहिष्कार करें।
कल तक तो लड़का लोग और चाचा लोग ही मां बहन की गाली देते थे लेकिन अब मैं इंस्टाग्राम पर देखता हूं कि लड़कियां भी एक दूसरे को MC BC (फुल फॉर्म में) बोलती रहती है। क्या आपने कभी गौर किया कितना गन्दा शब्द है? आप अपने दोस्त को MC यदि मजाक में भी कहें तो इसका मतलब है कि आप उसे ___ करने की धमकी दे रहे हैं। लेकिन फिर भी गाली देना कुल बनने का परिचायक हो गया है जो काफी दुखद है।
सबसे ज्यादा सावधान ' मुख में राम बगल में छुरी ' वाले लोगो से रहने की है। यह सोचकर मुझे आश्चर्य होता है कि कोई घटना होने के बाद हर जाति धर्म मजहब के लोग सोशल मीडिया पर खूब गुस्सा दिखते हैं। सब कैंडल वाला फोटो लगाते हैं। व्हाट्सएप पर स्टेटस देख के ऐसा लगेगा कि ये भैया या दीदी काफ़ी गुस्से में है। लेकिन वही भैया या दीदी अपने फ्रेंड सर्कल के बीच वैसे लड़कों/ लड़कियों को कुछ नही कहती है जो रोड पर स्कूल में कॉलेज में लड़कियों को माल कहता है। उसके फिगर को ताड़ता है। ऐसे मित्रों का बहिष्कार कीजिए।
वो कौन लोग हैं जो महिलाओं पर फेसबुक इंस्टाग्राम पर गलत टिप्पणी करते है, गलत मेसेज करते हैं, परेशान करते हैं? वो भी वही लोग हैं जो व्हाट्सएप पर स्टेटस स्टोरी लगाकर शरीफ बनते रहते हैं।
दोस्तों....
दोषी, देशद्रोही, आतंकवादी, रेपिस्ट आदि की कोई मजहब नहीं होती। जो मानव ही नहीं बन पाया उसका धर्म क्या और जात क्या। कुछ लोग महिला सम्मान के नाम पर गलत हथकंडे अपनाते हैं,जो ज्यादातर किसी न किसी राजनीतिक दल वाले होते हैं।
किसी भी राजनीतिक दल और राजनीति से संबंध रखने वाले आदमी से कभी उम्मीद न करें क्योंकि वो खुद अपने पार्टी में रेपिस्टों को टिकट देकर नेता बनाते हैं.. वो क्या पॉलिसी बनाएंगे?
खुद सतर्क रहिए। बहन अपना प्रोटेक्टर खुद बनिए, इतना मजबूत बनिए कि कभी अकेले में जरूरत पड़े किसी को मारने का तो मारने का क्षमता हो।
आप अपना विचार नीचे कॉमेंट कर बता सकते हैं। अपना सहमति या असहमति अवश्य प्रकट करें। अपने मित्रों,परिवारजनों तक शेयर कर अवश्य पहुंचाए.🙏
जय मां भारती!
Agree ��
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